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Sunday 24 April 2011

साथी तुम्हे बदलना होगा .....



धर्म ग्रन्थ और जाती पंथ
की चिन्गाड़ी बहुत जलाई
मंदिर तोड़ी मस्जिद तोड़ी
मासूमों की बलि चढ़ाई
पर अब अपने कर्मों का फल
तुम्हे भुगतना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

मद्रासी,पंजाबी हों
मराठी हों या बंगाली
सब ने बात बात में बस
एक दूजे की खोट निकाली
इन रुधिवादिताओं से
अब तुम्हे निकलना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

आंतकवाद ने देश को जकड़ा
भुखमरी ने किया बेहाल
पर तुम सब खुद में लड़ते हो
ज़रा देश का देखो हाल
देश प्रेम के भावों को
अब मन में भरना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

हरियाली को तुमने लुटा
कर वृक्षों का विध्वंश
ईंट -लौह के जंगल बन गए
है प्रदुषण का दंश
वक़्त रहते तुमको हे मानव !
अब संभालना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

न्याय नहीं न्यायलय में
है लोकतंत्र अशक्त
सत्य,अहिंसा बेमानी हैं
सब भ्रस्टाचार के भक्त
देश के इन शत्रुओं से
अब मिलकर लड़ना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

कहीं जलाई जाती बेटी
है भ्रूण-हत्या कहीं माफ़
मासों करते मजदूरी
ये कैसा इन्साफ
अब तुमको इन झूठी रस्मों में
यूँ ना ढलना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

तरह-तरह के भाषाओँ का
है अपना भारत देश
कई धर्म और जातिओं का
होता है परिवेश
भारत की समृद्धि की खातिर
अब मिलकर चलना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा

बिस्मिल ,सुभाष ,आज़ाद ,भगत ने
दी अपनी कुर्बानी
खुदी राम,अशफाक,उद्धम ने
कभी हार न मानी
उन वीरों के प्यारे भारत को
अब दिलों में रखना होगा
साथी तुम्हे बदलना होगा....
साथी तुम्हे बदलना होगा .....





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