उस त्यागे हुए पन्ने को
निस्तेज पड़ा है वो पन्ना
कुछ धुल ने किया मलिन
आंधी आई है घनघोर
उसको करने क्षीण -भिन्न
हो न जाए देर कहीं
तुम जाओ उस को संभालो
धुल से मुक्त करो उसको
उस को अपना बना लो
अपने कलम से उस पर
कोई कविता लिख जाओ
उस त्यागे हुए पन्ने को
कर्ण सा मान दिलाओ
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