स्वागत

Tuesday 26 April 2011

उस त्यागे हुए पन्ने को


निस्तेज  पड़ा है वो पन्ना 
कुछ धुल ने किया मलिन
आंधी आई है घनघोर 
उसको करने क्षीण -भिन्न 

हो न जाए देर कहीं 
तुम जाओ उस को संभालो 
धुल से मुक्त करो उसको 
उस को  अपना बना लो 

अपने कलम से उस पर 
कोई कविता लिख जाओ 
उस त्यागे हुए पन्ने को 
कर्ण सा मान दिलाओ 




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