है सेना घबराई सी
ये फिर से हमें सताएगा
हमको आड़ में लेकर
निर्बलों को वो तरपायेगा
हमको आड़ में लेकर
निर्बलों को वो तरपायेगा
दौर के आई उसकी जीवनसंगिनी
उसके आँखों का वो तारा है
किया जघन्य कृत्य भी
तो भी वो उसको प्यारा है
पर वो नारी अपने शक्ति को
क्यों न जान सकी
कटार थामे जीवनसाथी को
वो क्यों न संभाल सकी
कटार नहीं है तो क्या
कूटनीति कर के
मंदोदरी थी पतिव्रता
पर अब चंडी सा बन जाओ
दुष्ट अगर है जीवन साथी
तो तुम भी काली बन जाओ
समझो अपनी ताक़त नारी
ये शब्द हैं तेरे ढाल अब
बदल देंगे दुष्टों को भी
ये शब्द हैं तम के काल अब
किया जघन्य कृत्य भी
तो भी वो उसको प्यारा है
पर वो नारी अपने शक्ति को
क्यों न जान सकी
कटार थामे जीवनसाथी को
वो क्यों न संभाल सकी
कटार नहीं है तो क्या
शक्ति है हर नारी में
रावण न बन पाए कोई
सीता है हर नारी में
कूटनीति कर के
वो सेना को वश में कर सकती थी
निर्दोषों का जनसंहार से
वो रक्षा कर सकती थी
मंदोदरी थी पतिव्रता
पर अब चंडी सा बन जाओ
दुष्ट अगर है जीवन साथी
तो तुम भी काली बन जाओ
समझो अपनी ताक़त नारी
ये शब्द हैं तेरे ढाल अब
बदल देंगे दुष्टों को भी
ये शब्द हैं तम के काल अब
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