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Tuesday 26 April 2011

दुष्ट अगर है जीवन साथी

दुष्ट अगर है जीवन साथी ....



अधमरा है वो 
रणविजय कर के वो लौटा है 

निर्दोषों के रक्त से लथपत 
उसके कटार उसे धिक्कारते हैं 

है  सेना घबराई सी
ये फिर से हमें सताएगा 

हमको आड़ में लेकर 
निर्बलों को वो तरपायेगा 

दौर के  आई उसकी  जीवनसंगिनी 
उसके आँखों का  वो तारा  है 

किया जघन्य कृत्य भी 
तो भी वो  उसको प्यारा है 

पर वो नारी अपने शक्ति को 
क्यों न जान सकी 

कटार थामे  जीवनसाथी  को 
वो क्यों न संभाल सकी 

कटार नहीं है तो क्या
शक्ति है हर नारी में 

रावण न बन पाए कोई 
सीता है हर नारी में 

कूटनीति कर के 
वो सेना को वश में कर सकती थी 

निर्दोषों का  जनसंहार से 
वो रक्षा कर सकती थी 

मंदोदरी थी पतिव्रता 
पर अब चंडी सा बन जाओ 

दुष्ट अगर है जीवन साथी 
तो तुम भी काली बन जाओ 

समझो अपनी ताक़त नारी 
ये शब्द हैं तेरे ढाल अब  

बदल देंगे दुष्टों को भी 
ये शब्द हैं तम के काल अब

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