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Tuesday 26 April 2011

क्योंकि यहाँ सभी सपनो के बीच मेरा सपना कुछ अनोखा लगे

क्योंकि यहाँ सभी सपनो के बीच.... मेरा सपना कुछ अनोखा लगे



वो दूर रहती है 
बुलाता हूँ उसे 
सपनो में भी नहीं आती 


ऐसे सपने क्यों बुनते हो वो कहती है 
मैं कहता हूँ की ये सपने ही तो हैं
जो मुझे जीवन दे रहे हैं 


वो कहती पर इसमें तो मैं नहीं हूँ
मैं कहता तू इस सपनो में मत जी 
तू यथार्थ में जी 
तेरे यथार्थ को मैं सपनो में बदल दूंगा 


इन सपनो में कुछ दोस्ती के रंग भी होंगे
तू अपना जीवन शान से जी 


मेरी माँ ने मुझे लोड़ीया  सुनाई थी 
जब उसके सपने मेरे यथार्थ थे 
मुझे वो लोड़ीया  सुनने का अब बहुत मन करता है 
पर अब वो बूढी हो गयी है 
और मेरे सपनो के घोड़े दौर रहे हैं 
उसके सपनो को पूरा करने के लिए 


तू बस यथार्थ में जी और मेरे सपनो में भी 
कुछ यथार्थ भर दे क्योंकि यहाँ सभी सपनो
के बीच मेरा सपना कुछ अनोखा लगे 
और मेरे माँ का सपना पूरा हो जाए 
जो उसने देखा था उस समय जब मैं 
सपने देखने के बाद डर जाता था

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