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Tuesday 26 April 2011

तू बस याद रखना इसे भूलना नहीं

तू बस याद रखना इसे ....... भूलना नहीं


वो कहते हैं न की कल पीछा नहीं छोडती 
तो वो कल ही थी 
जिसे  निशांत   भूल कर आ गया था 
ज़माने के दस्तूर जो थे 
और उसके  घर के संस्कार 

किसी ने याद दिला दिया 
और फिर वो आज बन गयी 
वो जीने लगा 
और मरने लगा उसका वजूद 
या फिर बदलने लगा 
उस ईश की कृपा से 


जीने लगा वो 
हर पन्ने  में एक रंग भरने लगा 
मन की सुनने लगा 
और सबके मन को अपना सा 
समझ भूल गया आने वाले कल को 
उस ईश को उसके बल को 


पर लोगों ने अपने अनुभव सुनाये 
वो तो अपने मन की सुना 
और क्या था जो उसका था 
उसने उसे माना  ही था अप्राप्य 
पर वो प्राप्त हुई 
एक शक्ति जो उसे पहचान दिलाती रही 
कभी धुप में कभी छाओं में 
आज उस शक्ति को ढूंढ़ता है 
वो कहती है तू भूल गया था कुछ
जा उसे ढूंढ 
जा माँ के पास बैठ 
वो तुझे अपना लेगी 

तू हारा हुआ है 
तो भी तेरे सपनो में एक 
शक्ति को वो डाल देगी 
और फिर भी न ढूंढ पाया उस शक्ति को

तो उस दिन को याद कर जब 
तू इसी तरह बैठा था निस्तेज 
और वो एक प्रकाश के तरह आई थी 
तू बस याद रखना इसे 
भूलना नहीं 

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