
गरीबी रूकती नहीं भाई
जानलेवा है ये महंगाई
गंगा भी अब हुई मैली
हर तरफ गन्दगी फैली
खुनी मंत्री बनता है
सांसत में अब जनता है
कालाबाजारियों का राज़ है
गोदाम में सरता अनाज है
भ्रूण हत्या माफ़ है
ये कैसा इन्साफ है
हर तरफ हड़ताल है
जनता यहाँ बेहाल है
रिश्वतखोर नहीं रुकते हैं
पुलिस यहाँ नहीं सुनते हैं
है दहेज़ ने डाका डाला
भ्रस्टाचार का बोलबाला
भुखमरी से लोग मरते हैं
नेता बस वोट बैंक भरते हैं
अन्धकार में है जनता
बिजली का है नहीं पता
ठेकेदार मालामाल हैं
होती पानी की बर्बादी है
फिर काहे की आज़ादी है
बचपन गया मजदूरी में
जीने की मजबूरी में
शिक्षा हो गयी है धंधा
पढना-लिखना है फंदा
देश में फैली बेरोज़गारी है
कैसी ये लाचारी है
अपराधी करते कत्लो-आम है
इंसानियत अब बदनाम है
नक्सलवाद ने सर उठाया है
मासूमों को दहलाया है
हुआ गरीब बेसहारा है
क्षेत्रवाद का मारा है
आतंकियों ने सेंध लगाई है
वीरों ने जान गवाई है
जातिपात का राग है आरक्षण की आग है
मंदिर मस्जिद में घमासान है
शर्मशार यहाँ राम है
घूसखोरों की सरकार है
ये ईमान की हार है
मुश्किल में किसान है
झूठे वादों से परेशान है
रोके नहीं रुकती आवादी है
फिर काहे की आज़ादी है
अगर मनाते हो तुम आज जश्न
फिर कर लो आज तुम एक प्रण
जात-पात को ठुकराओगे
भ्रस्टाचार को जड़ से मिटाओगे
कलम को तुम्हे अपनाना है
जन-जन को शिक्षित बनाना है
आतंकवाद को गर मिटाना है
तुम्हे मिलकर कदम उठाना है
ना लड़ोगे धर्म के नाम पे तुम
करोगे राम को बदनाम ना तुम
दहेज़ का ना नाम हो
ना नारी अब नीलाम हो
रिश्वतखोरों को सबक सिखाना है
उन्हें जेल की हवा खिलाना है
भूखा ना सोये कोई यहाँ
मासूम ना रोये कोई यहाँ
वीरों को मिले सम्मान
भारत बने फिर से महान
आज आज़ादी के मेले पर
ये बात तुम्हे समझादी है
अगर जश्न मनाते हो
तो फिर से लानी आज़ादी है
तो फिर से लानी आज़ादी है
No comments:
Post a Comment