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Tuesday 26 April 2011

निशब्द हूँ तेरे लिए माँ

निशब्द हूँ तेरे लिए माँ !
धरती आकाश बादल क्या हैं 
माँ तुने ही तो मुझे बताया था 
नज़र न लग जाए मुझको 
काजल तुने ही मुझे लगाया था 

कविता लेख ग़ज़ल क्या है 
शब्द तुने मुझे सिखाया था 
धुप न लग जाए मुझको 
आँचल में तुने मुझे छुपाया था 

दोस्त गुरु भगवन क्या हैं 
माँ तुने मुझे समझाया था 
ठोकर न लग जाए मुझको 
चलना तुने मुझे सिखाया था 

निशब्द हूँ तेरे  लिए माँ 
बस कुछ शब्दों का अर्पण है 
तेरे संस्कारों का हे माँ 
मेरी कविता एक दर्पण है 

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