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Tuesday 26 April 2011

समझो अपनी ताक़त

समझो अपनी ताक़त



देखो चुनाव फिर आया है
कुछ लोगों का मन ललचाया है
घूमते हैं जो खद्दर पहनकर
देते हैं हमें धोखा भोला समझ कर


हर बार हमें निचा दिखाते हैं
पर हम क्यूँ इतने मजबूर हैं
जो इन्हें ही मत दे आते हैं


जीतकर मंत्री बन जाना
फिर अपनी शक्ल न दिखलाना
ये इनकी फितरत है
तरह तरह के वायदे करना
बिजली पानी का आश्वाशन देना
बस उन्हें यही आता है
कोई चीज में महारथ हासिल नहीं
पर भाषण देना खूब आता है


जात- पात का भेद बढाया
धर्म को धर्म से इन्होने लरवाया
ये सत्ता -सुख का ले मज़ा
हम गरीबी,बेरोज़गारी की काटे सजा


सिर्फ चाँद वोटों के खातिर
ये हर हद से गुज़रते हैं
फिर भी क्यूँ इन्हें हम मत देते हैं
लोकतंत्र को हाशिये पर रख
ये नेता हमको ठगते हैं


क्यूँ हम इतने निर्बल हो जाते हैं
क्यूँ अपनी ताक़त को न पहचानते हैं
सिर्फ नारे लगाने से कुछ ना होगा
अब तो कुछ हमको करना होगा


लोकतंत्र को जीवित गर रखना है
भ्रष्टाचार से अगर हमें लरना है
तो पहचानो ऐसे नेताओं को
न खेल सके अब देश से वो


पहचानो अपने मत की ताक़त
अब तो समझो वक़्त की नज़ाक़त
जाओ ढूंढ निकालों उन बहरूपियों को
जो झूठे वादे करते हैं


नहीं चाहिए ऐसे नेता
जो धर्म से धर्म को लराते हों
वोटों का व्यापार चलाते हो
जिन्हें नहीं है फ़िक्र जवानों की
जिन्हें नहीं खबर है किसानों की


सिर्फ खद्दर पहनकर इतराते हैं
खुद को गाँधी का शिष्य बताते है
ऐसे लोगों को औकात दिखाना है
अब देश को तुम्हे बचाना है


क्या अपना सपना पूरा होगा
कोई नेता जो हो सच्चा
कभी भारत में अवतरित होगा
फिर से आएगा कोई सुभाष
क्या बची है इसकी कोई आस
क्या आएगा फिर लाल बहादुर सा
क्या अब है कोई नेता उन जैसा


फिर भी कोशिश करना ही होगा
नया सवेरा तब ही आएगा
लोकतंत्र को लाज बचाने
कल सच्चा नेता आयेगा


तुम मत की शक्ति को पहचानो
तुम इसका करो सदुपयोग
भ्रष्ट नेता न तुमे ठग पायें
न करें वे इसका दुरूपयोग
न करें वे इसका दुरूपयोग

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