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Tuesday 26 April 2011

दोस्त

दोस्त

एक सपना था कुछ तरंगे थी

मेरी भी कुछ अभिलाषा थी

तब तुम मुझे मिले

जब चारो ओर निराशा थी

तुमने मुझे चलना सिखाया

लरना सिखाया मुस्कुराना सिखाया

मेरे जीवन पथ में तुने फूलों का सेज सजाया

कभी तुने मुझे संभाला कभी मैंने तेरा साथ निभाया

कारवां यह ज़िन्दगी का युहीं चलता रहा

हमारी कहानी को ऊपर वाला नित रोज गढ़ता गया

कभी उसने दर्द भरे तो कभी ख़ुशी

कभी दी जीत तो कभी मायूसी

पर उस कहानी के हर मोर पर तुने मेरा साथ निभाया

मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो तेरे जैसा दोस्त पाया

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