तू हमारा स्वाभिमान है
तू कुर्बानी नहीं देगी माँ
कुछ मोती बन जायेंगे
तू कुर्बानी नहीं देगी माँ
होगी तेरी जीत सदा
कुर्बान होंगे हमारे ये शब्द
कुछ मोती बन जायेंगे
तेरे आशीर्वाद से
बुलायेंगे कुछ लुटेरों को
लोभ का उनका करेंगे वध
कुछ बनेंगे कटार
होंगे कृष्ण के शंखनाद से
बुलायेंगे कुछ लुटेरों को
लोभ का उनका करेंगे वध
कुछ बनेंगे कटार
होंगे कृष्ण के शंखनाद से
नवयुवकों में रवानी लायेंगे
जो गद्धारों को करेंगे पस्त
शब्दों की गूँज जब
जो गद्धारों को करेंगे पस्त
शब्दों की गूँज जब
दूर पर्वत पर सुनाई जायेगी
शत्रु भागे जायेंगे माँ
तू बस ढाढस रख
जब जीतेंगे हर युद्ध
कुछ भक्ति में रंग जायेंगे
तेरे चरणों की पूजा होगी
ये शब्द व्यर्थ न जायेंगे
भेड़ियों को भी हे माँ
हम मिलकर थर्रा देंगे
शब्दों के बानों से उनको
भीमसेन की याद दिला देंगे
लोमड़ी सी हसरत वालों को
ये गौ बना देंगे
उनके मन को रौंद कर
भारत को स्वर्ग बना देंगे
भेड़चाल में चलने वालों को
ये सिंह बना देंगे
इस देश के हर बच्चे बच्चे को
आत्मनिर्भर ये बना देंगे
शत्रु भागे जायेंगे माँ
तू बस ढाढस रख
जब जीतेंगे हर युद्ध
कुछ भक्ति में रंग जायेंगे
तेरे चरणों की पूजा होगी
ये शब्द व्यर्थ न जायेंगे
भेड़ियों को भी हे माँ
हम मिलकर थर्रा देंगे
शब्दों के बानों से उनको
भीमसेन की याद दिला देंगे
लोमड़ी सी हसरत वालों को
ये गौ बना देंगे
उनके मन को रौंद कर
भारत को स्वर्ग बना देंगे
भेड़चाल में चलने वालों को
ये सिंह बना देंगे
इस देश के हर बच्चे बच्चे को
आत्मनिर्भर ये बना देंगे
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