स्वागत

Tuesday 26 April 2011

है सूर्य से प्रकाशित तू चन्द्रमा

है सूर्य से प्रकाशित तू चन्द्रमा !
है सूर्य से प्रकाशित तू चन्द्रमा 
पर तुझ पर  चकोर मरता है 
वो भूल जाता है तुझको 
दिव्यमान सूर्य 
सवेरे जब निकलता है 

तेरे सौंदर्य को बस वो 
पगला देख पाता है 
तेरे गुण हैं कितने 
वो इसको  
समझ  न पाता है 

तुझसे ज्वार -भाटाये हैं 
जो विद्युत उत्पन्न कर सकती हैं 
सौंदर्य तो क्षण-भंगुर है 
गुण हरदम संचित रहती है 

ए मानव ! ये चन्द्रमा तुझको 
प्रतिदिन ये सत्य बताता है 
बाह्य सौन्दर्य छलावा है 
वो मन को सच्चा बतलाता है 

रूप न देखो गुण को देखो 
ये सूर्य तुझको समझता है 
तेरा रूप भी एक दिन  बदल जाएगा 
वो नित दिन तुझे सिखाता है 

No comments:

Post a Comment