स्वागत

Tuesday 26 April 2011

लौटा दे न मेरे भगवन

लौटा दे न मेरे भगवन

बहुत दिनों के पश्चात भाग्य से
जा पहुंचा एक विद्यालय में

मन आनंदित और परफुल्लित था
जैसे जा पहुंचा मैं शिवालय में

स्मृत हो गए मुझे मेरे गुरुजन
और सुनहरे उनके प्रियवचन

मन में आयीं भूली बिसरी बातें
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें

याद आ गया वो आखिरी घंटा
वो घंटी का बजना टनटन

सुन कर हम फुले ना समाते थे
हंसी ख़ुशी घर जाते थे

माँ ने रोटी सब्जी बनाई
उसे बारे चाव से खाते थे

याद आ गए मुझे माँ की लोरी
याद आ गया माँ का आँगन

गर मुझे मिल जाये भगवन
मैं करूँगा उनसे ये अर्चन

लौटा दें मुझे मेरा बचपन
लौटा दें बे प्यारे मित्र जन

उन खट्टी मीठी यादों का दाता !
कर दे जीवन में नव सृजन

बहुत  याद आते हैं गुरुजन
बहुत  याद आता है बचपन


लौटा दे न मेरे भगवन
ये है मेरा नम्र निवेदन

ये है मेरा नम्र निवेदन

No comments:

Post a Comment